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डुबाने को पानी से ज्यादा उसकी अदाएं थी
न जाने वो परी किस ही शहर से आई थी
दूबते रहे सब आने जाने वाले वहाँ
महफिल ही कुछ ऐसी उन्होने सजायी थी
उफ्फ वो चेहरा न जाने कहाँ से
तराश कर लायी थी
उस जल मे जब वो परी आयी थी
नमकीन पानी में भी मीठास भर आई थी
कम्बक्ख
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