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मैं कविता लिखना चाहता हूँ
लिखना चाहता हूँ उसमे वो सब
जिसे मैं प्रेम मानता हूँ
जो मेरे अनुसार हैं इस संसार का चालक
मैं कविता में कौवे का विरह लिखकर
हंसो का मिलन लिखना चाहता हूँ
और वो ज़ब हम मिलके अपने अपने घर लोटे थे न
वो किस्सा भी लिखना चाहता हूँ वहीं जगह देख कर
मुझें समझ। नहीं आया अर्थ कविता का कभी
इसलिए मैं प्रेम से भरी
अर्थ हीन सम्पूर्ण कविता लिखना चाहता हूँ
और उसमे सबसे प्यारी पंक्ति
तुम्हें लिखना चाहता हूँ
कैसे कोई इंसान हमारे लिए ख़ुदा से ज़्यदा महत्व का होजाता हैं
और चलते हुए
लिखना चाहता हूँ उसमे वो सब
जिसे मैं प्रेम मानता हूँ
जो मेरे अनुसार हैं इस संसार का चालक
मैं कविता में कौवे का विरह लिखकर
हंसो का मिलन लिखना चाहता हूँ
और वो ज़ब हम मिलके अपने अपने घर लोटे थे न
वो किस्सा भी लिखना चाहता हूँ वहीं जगह देख कर
मुझें समझ। नहीं आया अर्थ कविता का कभी
इसलिए मैं प्रेम से भरी
अर्थ हीन सम्पूर्ण कविता लिखना चाहता हूँ
और उसमे सबसे प्यारी पंक्ति
तुम्हें लिखना चाहता हूँ
कैसे कोई इंसान हमारे लिए ख़ुदा से ज़्यदा महत्व का होजाता हैं
और चलते हुए
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