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बचपन से उनके आसुओं पर रोक लगा दी जाती हैं
"कठोर बनो" कहकर उनकी भावनाएं दबा दी जाती हैं,
खुद को बयां करने की उन्हें आजादी नहीं
इसलिए लड़का होना इतना भी आसान नहीं।।
लड़का सबकी नजरों में बेहतर होना चाहिए
लाखों की नौकरी के साथ कामयाब होना चाहिए,
उनकी रुचि उनसे कभी पूछी जाती नहीं
इसलिए लड़का होना इतना भी आसान नहीं।।
इतनी जिम्मेदारियां उन पर डाल दी जाती हैं
निष्कलंक बनने की उनसे उम्मीद लगाई जाती हैं,
दुनिया में तो कोई भी सम्पूर्ण नहीं
इसलिए लड़का होना इतना भी आसान नहीं।।
इनके जीवन में भी लाख़ कठिनाइयां हैं
दिखाते हैं - यहीं इनकी विराटता हैं,
सब नजर-अंदाज करना अब मुमकिन नहीं
इसलिए लड़का होना इतना भी आसान नहीं।।
बढ़ते भारत में कई लोगो की सोच भी आगे बढ़ी
जैसे, दूसरे लिंग की गलती भी उन्हें न दिखी,
बिना गलती के भी लड़के दोषी ठहराए जाते हैं
एक लोहे की तरह वह पिघलाए जाते हैं,
अब क्या ये सब अतिरेक नहीं?
इसलिए लड़का होना इतना भी आसान नहीं।।
~ कनिष्का गर्ग (कक्षा-दसवीं)
"कठोर बनो" कहकर उनकी भावनाएं दबा दी जाती हैं,
खुद को बयां करने की उन्हें आजादी नहीं
इसलिए लड़का होना इतना भी आसान नहीं।।
लड़का सबकी नजरों में बेहतर होना चाहिए
लाखों की नौकरी के साथ कामयाब होना चाहिए,
उनकी रुचि उनसे कभी पूछी जाती नहीं
इसलिए लड़का होना इतना भी आसान नहीं।।
इतनी जिम्मेदारियां उन पर डाल दी जाती हैं
निष्कलंक बनने की उनसे उम्मीद लगाई जाती हैं,
दुनिया में तो कोई भी सम्पूर्ण नहीं
इसलिए लड़का होना इतना भी आसान नहीं।।
इनके जीवन में भी लाख़ कठिनाइयां हैं
दिखाते हैं - यहीं इनकी विराटता हैं,
सब नजर-अंदाज करना अब मुमकिन नहीं
इसलिए लड़का होना इतना भी आसान नहीं।।
बढ़ते भारत में कई लोगो की सोच भी आगे बढ़ी
जैसे, दूसरे लिंग की गलती भी उन्हें न दिखी,
बिना गलती के भी लड़के दोषी ठहराए जाते हैं
एक लोहे की तरह वह पिघलाए जाते हैं,
अब क्या ये सब अतिरेक नहीं?
इसलिए लड़का होना इतना भी आसान नहीं।।
~ कनिष्का गर्ग (कक्षा-दसवीं)
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