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यदि प्रेम जीवन-सापेक्ष है
तो कविता की भाषा
हमेशा जागरूक, परिभाषित
और समर्पित रहेगी।
क्योंकि,
मनुष्यता के इस परिवेश में
तर्क-वितर्क और कुतर्क
की भाषा अल्पित रहेगी।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
शब्दार्थ:-
अल्पित - जिसकी उपेक्षा की गई हो।
तो कविता की भाषा
हमेशा जागरूक, परिभाषित
और समर्पित रहेगी।
क्योंकि,
मनुष्यता के इस परिवेश में
तर्क-वितर्क और कुतर्क
की भाषा अल्पित रहेगी।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
शब्दार्थ:-
अल्पित - जिसकी उपेक्षा की गई हो।
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