Share0 Bookmarks 0 Reads1 Likes
यदि प्रेम जीवन-सापेक्ष है
तो कविता की भाषा
हमेशा जागरूक, परिभाषित
और समर्पित रहेगी।
क्योंकि,
मनुष्यता के इस परिवेश में
तर्क-वितर्क और कुत
तो कविता की भाषा
हमेशा जागरूक, परिभाषित
और समर्पित रहेगी।
क्योंकि,
मनुष्यता के इस परिवेश में
तर्क-वितर्क और कुत
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments