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त्वचा के हिस्से में
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
त्वचा के हिस्से में
बस स्पर्श का असर रहता है
आलिंगनबद्ध मिली-जुली दीवार पर
धरती पर पाँव का सम्बल रहता है।
वर्षा के हिस्से में
सोंधी मिट्टी की टूटन रहती हैं
इसमें चुपचाप टकटकी लगाए
वो डूबता है
जो अपनी ही धुन में रहता है।
प्रेम पूरा हो या कि अधूरा
प्रेम जगह का जोग है
उसमें भी ठहराव के
खटकने का डर रहता है।
निजी का चयन नहीं
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
त्वचा के हिस्से में
बस स्पर्श का असर रहता है
आलिंगनबद्ध मिली-जुली दीवार पर
धरती पर पाँव का सम्बल रहता है।
वर्षा के हिस्से में
सोंधी मिट्टी की टूटन रहती हैं
इसमें चुपचाप टकटकी लगाए
वो डूबता है
जो अपनी ही धुन में रहता है।
प्रेम पूरा हो या कि अधूरा
प्रेम जगह का जोग है
उसमें भी ठहराव के
खटकने का डर रहता है।
निजी का चयन नहीं
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