
Share0 Bookmarks 98 Reads1 Likes
सुर्ख़ सुबह पे नज़र रखता हूँ,
धधकते सूरज पे नज़र रखता हूँ
तपिश से कभी न जले पाँव मेरे
माँ की दुआओं का असर रखता हूँ।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय।
धधकते सूरज पे नज़र रखता हूँ
तपिश से कभी न जले पाँव मेरे
माँ की दुआओं का असर रखता हूँ।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments