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सुख पारिजात के पुष्प सरीखे हैं
ज़रा-सा झोंका सह न पाता है।
जब तक आँख मूँदे रह सके
तभी तक गंध ठहर पाता है।
आँसुओं की नमी संग
दु:ख शूल बनकर धँसा रहता है।
चीख़-पुकार नहीं सुहाता
पर गूँज सुनता रहता है।
कभी-कभी सोचते-सोचते आँखों पर
बिजली का प्रकाश झिलमिलाता है।
अनुभव ऐसा जो
ज़रा-सा झोंका सह न पाता है।
जब तक आँख मूँदे रह सके
तभी तक गंध ठहर पाता है।
आँसुओं की नमी संग
दु:ख शूल बनकर धँसा रहता है।
चीख़-पुकार नहीं सुहाता
पर गूँज सुनता रहता है।
कभी-कभी सोचते-सोचते आँखों पर
बिजली का प्रकाश झिलमिलाता है।
अनुभव ऐसा जो
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