सिर्फ़ सोचते रहते हैं
- © कामिनी मोहन।'s image
Poetry1 min read

सिर्फ़ सोचते रहते हैं - © कामिनी मोहन।

Kamini MohanKamini Mohan July 24, 2022
Share0 Bookmarks 165 Reads2 Likes
हम बहुत सारी चीज़ों के बारे में
सिर्फ़ सोचते रहते हैं
तो क्या हमें केवल सोचते ही रहना चाहिए?
क्या दिमाग़ को हमेशा ही व्यस्त रहना चाहिए?
कभी आँखों में घन न थम सके
तो बरस जाना चाहिए
या फिर सब अंतस् भीतर ही सूखा देना चाहिए।

दिन-रात बदलती दुनिया में
बदलती सोच पर स्थिर होकर
भरोसा नहीं किया जा सकता।
सोच-विचार और चिंतन से
उपजी चिंता के आधिक्य को
रोका नहीं जा सकता।

अत्यधिक सोच के कारण ही
हम बीम

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts