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( क़ितआ ) - धमकियाँ दर्द की
धमकियाँ दर्द की ख़ुशियों पर है भारी
ऐसा डर जैसे रात स्याही बरसीं हो भारी
धमकियाँ दर्द की ख़ुशियों पर है भारी
ऐसा डर जैसे रात स्याही बरसीं हो भारी
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