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आवाज़ जो शांत जगह से आ रही है
अंधेरा होने से पहले लौट जा रही है
कभी तेज़-सी, कभी हल्की-सी
उपस्थिति दर्ज़ करा रही है।
भयमुक्त बैठा शून्य
दिल-ए-बे-क़रार रहा
प्रेम की जमीन
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