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मेरे शहर में
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
मेरे शहर में,
पहाड़ कहीं नहीं है,
लेकिन ख़ूब ऊँची-ऊँची बहुमंजिला अत्याधुनिक अपार्टमेंट हैं,
उनके आसपास घास-फूस नहीं है,
टाइल्स ने सब दबा दिया है
ईंटों और सीमेंट ने सब रोक दिया है।
मेरे शहर में,
दो और तीन कमरों के फ्लैट में
लोगों की पूरी दुनिया है
सड़क नहीं हाई-वे हैं
फ्लाई ओवर है
सड़क के किनारे
पके महुए की ख़ुशबू देने वाले
पेड़ नहीं है
मंज़िल पर पहुँचने का सारा अहसास
अब जीपीएस में है।
मेरे शहर में,
मेरे अपने
मेरे रास्ते के साथी नहीं है
काश! मेरे अपने-अपने ही रहते
खुले आसमान
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
मेरे शहर में,
पहाड़ कहीं नहीं है,
लेकिन ख़ूब ऊँची-ऊँची बहुमंजिला अत्याधुनिक अपार्टमेंट हैं,
उनके आसपास घास-फूस नहीं है,
टाइल्स ने सब दबा दिया है
ईंटों और सीमेंट ने सब रोक दिया है।
मेरे शहर में,
दो और तीन कमरों के फ्लैट में
लोगों की पूरी दुनिया है
सड़क नहीं हाई-वे हैं
फ्लाई ओवर है
सड़क के किनारे
पके महुए की ख़ुशबू देने वाले
पेड़ नहीं है
मंज़िल पर पहुँचने का सारा अहसास
अब जीपीएस में है।
मेरे शहर में,
मेरे अपने
मेरे रास्ते के साथी नहीं है
काश! मेरे अपने-अपने ही रहते
खुले आसमान
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