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मनुष्य के अवशेषों पर दर्ज़ स्मृति
जड़ों से उद्भुत कविता को रचता है।
यह आत्मीयता का यूटोपिया छंद है
जो भविष्य से रिश्ता क़ायम करता है।
लंबी उम्र है संस्कृति की
इतनी जितनी इस धरती की
इसे देखकर ज़ुबान पर अतीत की खोज
और ज़ेहन में भविष्य का अन्वेषण
होने लगता है।
संस्कृति को याद नहीं करना पड़ता
जहाँ देखो वहाँ नज़र आ जाती हैं।
इसको प्राप्त करने के लिए
लौटना होता है हमें
अपने इतिहास के पास
परंपरा से प्राप्त जीवंत वर्तमान के पास।
आदिम आह्वान कभी-कभी
अनुमान पर आच्छ
जड़ों से उद्भुत कविता को रचता है।
यह आत्मीयता का यूटोपिया छंद है
जो भविष्य से रिश्ता क़ायम करता है।
लंबी उम्र है संस्कृति की
इतनी जितनी इस धरती की
इसे देखकर ज़ुबान पर अतीत की खोज
और ज़ेहन में भविष्य का अन्वेषण
होने लगता है।
संस्कृति को याद नहीं करना पड़ता
जहाँ देखो वहाँ नज़र आ जाती हैं।
इसको प्राप्त करने के लिए
लौटना होता है हमें
अपने इतिहास के पास
परंपरा से प्राप्त जीवंत वर्तमान के पास।
आदिम आह्वान कभी-कभी
अनुमान पर आच्छ
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