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1.
माँ लोरी भरा वात्सल्य ख़ज़ाना,
अबोध शिशु तुम सुनते जाना।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
2.
जीवन में कोई डर न फ़िक्र था वैसे
माँ ने उँगली कस के हाथों में पकड़ी हो जैसे।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
3.
पालने की डोरियां माँ खींचती जा रही थीं,
लोरियों पे लोरियां माँ सुनाती जा रही थीं।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
4.
मैं लोरी सुन रहा था मुझे नींद आ रही थीं,
माँ लोरी भरा वात्सल्य ख़ज़ाना,
अबोध शिशु तुम सुनते जाना।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
2.
जीवन में कोई डर न फ़िक्र था वैसे
माँ ने उँगली कस के हाथों में पकड़ी हो जैसे।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
3.
पालने की डोरियां माँ खींचती जा रही थीं,
लोरियों पे लोरियां माँ सुनाती जा रही थीं।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
4.
मैं लोरी सुन रहा था मुझे नींद आ रही थीं,
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