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क्या कविता से
खेतों को सींचा जा सकता है?
पक चुके फ़सलों को,
काटा जा सकता है।
क्या तरह-तरह की भूख को,
परिभाषित किया जा सकता है?
दैहिक- मानसिक हिंसा को,
रोका जा सकता है।
जी हाँ, मैं देख रहा हूँ,
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