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कुछ बिताया कुछ निभाया,
अपरिचित जीवन-पथ पर चलते रहे।
मालूम नहीं कब-कहाँ परिचित जिए,
बस यूँ ही दिन ढले तक चलते रहे।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
अपरिचित जीवन-पथ पर चलते रहे।
मालूम नहीं कब-कहाँ परिचित जिए,
बस यूँ ही दिन ढले तक चलते रहे।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
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