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कर लो मुझको क़ाबू
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
मीठी नीम के नीचे
एक मिट्टी के कटोरे पर
बैठकर पीता है पानी
है कोई जादू भरी ज़िंदगानी
एक अनाम पक्षी के सोच की हैं ये कहानी।
पृथ्वी पर किसी ने रख दिया है
एक अमृत कुण्ड
भर दिया है अमृत
बादल आ जा रहे हैं
विष और अमृत वमन करते विचार
पानी के दर्पण पर दृश्य बनाते जा रहे हैं।
दिखला रहे हैं
यात्रा का जादू
कह रहे हैं
लिखो मेरी यात्रा-संस्मरण
या कर लो मुझको क़ाबू।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
-काव्यस्यात्मा
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
मीठी नीम के नीचे
एक मिट्टी के कटोरे पर
बैठकर पीता है पानी
है कोई जादू भरी ज़िंदगानी
एक अनाम पक्षी के सोच की हैं ये कहानी।
पृथ्वी पर किसी ने रख दिया है
एक अमृत कुण्ड
भर दिया है अमृत
बादल आ जा रहे हैं
विष और अमृत वमन करते विचार
पानी के दर्पण पर दृश्य बनाते जा रहे हैं।
दिखला रहे हैं
यात्रा का जादू
कह रहे हैं
लिखो मेरी यात्रा-संस्मरण
या कर लो मुझको क़ाबू।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
-काव्यस्यात्मा
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