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हमसे ही युग सृजित हमसे ही खण्डित,
ये चिंतकों का चिंतन सीमित नहीं।
गणित के गाँठों में बँधी काया का
पहचान-पत्र अपरिमित नहीं।
लेकिन यहाँ प्रातः से संध्या तक
घटते-बढ़ते ग्राफ का कोई स्तर नहीं।
चश्मदीद के चश्मे पर रात है काली
धर्म व जाति के चश्मे का नम्बर एक नहीं।
मनुष्य होने की इच्छा राजनीतिक है,
ये चिंतकों का चिंतन सीमित नहीं।
गणित के गाँठों में बँधी काया का
पहचान-पत्र अपरिमित नहीं।
लेकिन यहाँ प्रातः से संध्या तक
घटते-बढ़ते ग्राफ का कोई स्तर नहीं।
चश्मदीद के चश्मे पर रात है काली
धर्म व जाति के चश्मे का नम्बर एक नहीं।
मनुष्य होने की इच्छा राजनीतिक है,
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