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172. हाइकु श्रेणी : कामिनी मोहन।

Kamini MohanKamini Mohan September 27, 2022
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हर सप्ताह
है आता इतवार
पर सुकून।

प्रेम शून्य है
पर गणित नहीं
समझे कैसे।

सोच-सोच के
सुकून नहीं आता
क्यूँ सोचते?

चित्त की वृत्ति
ये सत् रज् तम्
निर्गुण बने।

बैठे हैं द्वार।

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