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दुःख की पताकाएँ,
उड़ती रहेगी।
क्षुद्रता अहंकार की ओट में
छुपती रहेगी।
जब बात से बात,
कुछ बो
उड़ती रहेगी।
क्षुद्रता अहंकार की ओट में
छुपती रहेगी।
जब बात से बात,
कुछ बो
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