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दुःख की पताकाएँ,
उड़ती रहेगी।
क्षुद्रता अहंकार की ओट में
छुपती रहेगी।
जब बात से बात,
कुछ बोलेगी।
एक नई बात,
नई राह लेगी।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
उड़ती रहेगी।
क्षुद्रता अहंकार की ओट में
छुपती रहेगी।
जब बात से बात,
कुछ बोलेगी।
एक नई बात,
नई राह लेगी।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
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