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चार मुक्तक - कामिनी मोहन।

Kamini MohanKamini Mohan May 12, 2022
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चार मुक्तक - कामिनी मोहन।


1.

हमने जो भी चाहा कब  मिला  है  हमें,

सदा  ही  ख़ाली  कोना  मिला  है  हमें।

हर  नए दर्द की  हैं  एक  नई  दास्तान

दो पन्नों के बीच सन्नाटा  मिला  है हमें।


2.

जीवन  भर  रेत  को  मुट्ठी  में  पकड़ा  हमने,

हवा  के  रुख़  को  कब  तन्हा  छोड़ा  हमने।

इतना भी न समझे न ठहरेगी, निकल जाएगी

जाती  हुई  साँसों  को   कब   पकड़ा 

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