Share0 Bookmarks 45319 Reads1 Likes
सारे के सारे
अविशुद्ध शब्दों के बीच
भावना का ज्वार
जैसे मायावी
जैसे बंद कमरे से
अविशुद्ध शब्दों के बीच
भावना का ज्वार
जैसे मायावी
जैसे बंद कमरे से
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments