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अपने भीतर झोंकती झांकती,
आवाज़ें है, पर ठहरी हुई।
सुनते हैं पर कुछ करते नहीं,
हाथ में लगी मिट्टी बहरी हुई।
उसके जाने के बाद ज़र्द ज़िन्दगी के,
ज़िल्द चुपचाप पड़े रहते हैं।
बाक़ी है तो बस ऊपर से झाँकने को,
अनेको कविताएँ पढ़ते रहते हैं।
बस एक गहरी साँस फिर,
आँख नए-नए दृश्य पर गड़ते रहते है।
देर तक यात्रा में झाँकते हुए,
हांफते हुए बदन लथपथ होते रहते हैं।
झाँकी है यादों की आवाज़ देकर,
एकटक झाँक आत
आवाज़ें है, पर ठहरी हुई।
सुनते हैं पर कुछ करते नहीं,
हाथ में लगी मिट्टी बहरी हुई।
उसके जाने के बाद ज़र्द ज़िन्दगी के,
ज़िल्द चुपचाप पड़े रहते हैं।
बाक़ी है तो बस ऊपर से झाँकने को,
अनेको कविताएँ पढ़ते रहते हैं।
बस एक गहरी साँस फिर,
आँख नए-नए दृश्य पर गड़ते रहते है।
देर तक यात्रा में झाँकते हुए,
हांफते हुए बदन लथपथ होते रहते हैं।
झाँकी है यादों की आवाज़ देकर,
एकटक झाँक आत
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