अखण्ड प्रेम दीप
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अखण्ड प्रेम दीप - © कामिनी मोहन पाण्डेय।

Kamini MohanKamini Mohan August 20, 2022
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अखण्ड प्रेम दीप
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।

अब यहाँ,
मैं क्या-क्या नहीं कर सका
थोड़ा पूरा थोड़ा अधूरा
सोचकर उठ जाने वाला हूँ।

वो भी तब जब आवागमन का चक्र
पता नहीं पूरा कर सकता हूँ या नहीं
यहाँ सब चीज़े छोड़कर जाने वाला हूँ।
जमीन से भारी धैर्य चुप्पी साधे रहेगी
मैं यहाँ के इतिहास से निकल जाने वाला हूँ।

सारे पत्ते पीले हो जाएँगे
और ज़रा से हवा के झोंके से
सब ग़ायब हो जाएँगे
पलट कर पीछे देखने का नहीं कोई फ़ायदा
उजड़े पेड़ों पर आसमान उतर आएँगे

पथ में अकेला हूँ
वहाँ लोग-बाग़ नहीं होंगे
कोई हलचल न होगी
उस इलाक़े में तरसना न होगा
कि कोई मुझे देखे
सुने,
सराहे,
स्वीकार करे।

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