
Share0 Bookmarks 83 Reads1 Likes
आजकल
आदमी एक हाथ में मोबाइल थामता है
और दूसरे हाथ की उंगलियों को
काम पर लगाता है
शब्दों को रोशनी से नहलाता है
उसे तेज़ी से रक्त में उतारता है
स्क्रीन ज़ेहन पर कब्ज़ा जमाता है
दिल और दिमाग को
अपने घेरे में घूमाता है।
आदमी समझता है
रफ़्तार बहुत तेज़ है उसकी
वह घेरे से निकल जाएगा
लेकिन बस सोचता ही रह जाता है
और वक़्त चुपचाप आदमी का चेहरा
बदलकर चला जाता है।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
आदमी एक हाथ में मोबाइल थामता है
और दूसरे हाथ की उंगलियों को
काम पर लगाता है
शब्दों को रोशनी से नहलाता है
उसे तेज़ी से रक्त में उतारता है
स्क्रीन ज़ेहन पर कब्ज़ा जमाता है
दिल और दिमाग को
अपने घेरे में घूमाता है।
आदमी समझता है
रफ़्तार बहुत तेज़ है उसकी
वह घेरे से निकल जाएगा
लेकिन बस सोचता ही रह जाता है
और वक़्त चुपचाप आदमी का चेहरा
बदलकर चला जाता है।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments