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234. अनुमान के कटघरे में - कामिनी मोहन।

Kamini MohanKamini Mohan March 17, 2023
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कभी-कभार मुझे लगता है कि

मैं आधा अंदर और आधा बाहर हूँ।

कभी-कभी मैं अतीत का क़ैदी

और भविष्य का अग्रणी हूँ।

प्रतिक्रिया की परवाह नहीं
पुराने तरीके के उत्साह के लिए लालायित हूँ।
प्रत्येक प्रक्रिया में अलग-थलग होता हूँ
कुछ लोगों के लिए सही
और कुछ लोगों के लिए ग़लत होता हूँ।

बहुत समय बर्बाद किया
इस बारे में सोचकर कि
मैं क्या सोच रहा हूँ?
सैकड़ों बार ख़ुद को
कुछ ख़ास करने से रोक लिया
यह सोचकर कि
भावनाओं में बह गया हूँ।

कर ली हैं आशंका कि
कौन क्या सोच रहा?
कौन क्या सोचेगा?
पहरेदार सोच को
अनुमान के कटघरे में खड़ा करता हूँ।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।

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