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जब अपना सबको मान लिया,
तब चारों ओर नि:शेष बचा।
जब प्रेम से प्रेम को जान लिया,
तब प्रेम ही अशेष बचा।
ख़ुद को बहुत ही मान दिया।
पर पूछता हूँ, अपरिशेष है क्या?
अतिशेष से दूर जब बिठा दिया।
फिर चारों ओर विशेष है क्या?
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
शब्दार्थ:
अपरिशेष : पूर्ण, अनंत, अविनाशी, नित्य।
अतिशेष : बचा हुआ अंश
अशेष : सम्पूर्ण
नि:शेष : जिसमें कुछ भी बाकी न हो।
तब चारों ओर नि:शेष बचा।
जब प्रेम से प्रेम को जान लिया,
तब प्रेम ही अशेष बचा।
ख़ुद को बहुत ही मान दिया।
पर पूछता हूँ, अपरिशेष है क्या?
अतिशेष से दूर जब बिठा दिया।
फिर चारों ओर विशेष है क्या?
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
शब्दार्थ:
अपरिशेष : पूर्ण, अनंत, अविनाशी, नित्य।
अतिशेष : बचा हुआ अंश
अशेष : सम्पूर्ण
नि:शेष : जिसमें कुछ भी बाकी न हो।
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