219.सत्य-प्रेम की शक्ति क्षणिक न थी - कामिनी मोहन।'s image
Poetry1 min read

219.सत्य-प्रेम की शक्ति क्षणिक न थी - कामिनी मोहन।

Kamini MohanKamini Mohan February 8, 2023
Share0 Bookmarks 151 Reads1 Likes
सत्य-प्रेम की शक्ति क्षणिक न थी हम दोनों की
बेबसी लाचारगी एक-सी थी हम दोनों की

मजबूरी में हम इधर से उधर गए
देखते ही देखते जीवन गुज़र गए

एक छोटे से घरौंदे से विदा हो गए
अंतस् के  दमकते फूल जुदा हो गए।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts