213.अभय-पथ का पथिक

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213.अभय-पथ का पथिक -© कामिनी मोहन।

Kamini MohanKamini Mohan January 27, 2023
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अपूर्ण जीवन उन क्षणों से भरा है जो पूर्ण ध्यान, पूर्ण समर्पण और पूर्ण कृतज्ञता की डोर को मुट्ठी में थामे हुए हैं। इसलिए पूर्णता को न पाने का डर नहीं, बल्कि अपूर्णता में पूर्णता को देखने की दृष्टि होनी चाहिए।

जीवन में डर हमारी वास्तविकता का हिस्सा नहीं है।डर अवचेतन मन में प्रवेश न करे इसके लिए हमें अपनी आंतरिक दुनिया से जुड़े रहना चाहिए।जो जमीनी स्तर पर वास्तविकता की चादर ओढ़ते हैं, वे हमेशा दिव्य रूप में संरक्षित और निर्देशित होते हैं। क्योंकि उस समय वे महसूस करते हैं कि पूरा ब्रह्माण्ड उनके पक्ष में काम कर रहा है। यह सच भी है कि पूरा ब्रह्माण्ड निरंतर अपना योगदान देता रहता है।

डर को अपने जीवन पर हावी नहीं होने देने का अर्थ, डर को अपनी वास्तविकता को नियंत्रित करने की अनुमति न देना है। जब हम यह महसूस करते हैं कि डर एक भ्रम है तो हमारे पास अपनी वास्तविकता के हर पहलू को ढालने की शक्ति बनी रहती है और हम डर से

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