
Share0 Bookmarks 84 Reads1 Likes
सर्द गुलाबी मौसम में
आते पक्षी बन कर मेहमान।
कलरव करते गीत गाते
क़दमों पर रखते जहान।
उड़ते जल तट तल पर
ये हैं साइबेरियन महान।
स्वच्छ सरोवर की माटी
उनको लगते पुण्य समान।
हजारों मील से उड़कर आते
सारी धरती घर समान।
निर्मल आभा खींच के लाते
धरती दिखती स्वर्ग समान।
जैसे सुन वंशी की तान
हवा ठहरकर करे हो ध्यान।
सरहदों की टूटे दीवार
नहीं कोई काटों का तार।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
आते पक्षी बन कर मेहमान।
कलरव करते गीत गाते
क़दमों पर रखते जहान।
उड़ते जल तट तल पर
ये हैं साइबेरियन महान।
स्वच्छ सरोवर की माटी
उनको लगते पुण्य समान।
हजारों मील से उड़कर आते
सारी धरती घर समान।
निर्मल आभा खींच के लाते
धरती दिखती स्वर्ग समान।
जैसे सुन वंशी की तान
हवा ठहरकर करे हो ध्यान।
सरहदों की टूटे दीवार
नहीं कोई काटों का तार।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments