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युग बदले दुनिया बदले नई सुबह का भान होता है,
नए विचार नए व्यवहार सब नया तान होता है।
आवाज़ है कविता की कुछ और नहीं समझ लेना
अँधेरे को कविता सुनाऊँ नया निर्माण होता है।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
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