194.ख़ुद के विनाश के लिए
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194.ख़ुद के विनाश के लिए - © कामिनी मोहन।

Kamini MohanKamini Mohan November 23, 2022
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ख़ुद के विनाश के लिए
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।

पहले मौत की कामना
फिर पछतावा।
सिन्दूरी रोशनी से भरे हॉल में
जटिल नेक-अनेक कुछ भी नहीं
गिरते पत्तों की बाते
क्या बस है छलावा?

वो अविनाशी न्याय की कुर्सी पर बैठा
क्या-क्या देख सुनकर
क्या-क्या है समझता?
अपना फ़ैसला सुरक्षित रखकर
सूक्ष्म में रखता रहता?

ठंड को कारण बताकर
जल जाते हैं पत्ते जल जाने दो।
गिरते हैं पत्ते तो गिर जाने दो
फिर से पुनर्जन्म लेकर उभर आने दो।

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