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कविता में काव्यात्मक-कला की उत्पत्ति का परम कारण जीवन का लय है। यह लय सदैव चैतन्य भाव में दृष्टिगोचर होता है। यह उच्च भावना को उद्भुत कर मनुष्य की विशिष्टता को ज़बान देकर अभिव्यक्त होता है।
धरती पर ऐसा कोई प्राणी नहीं है जो अपने अंतस् से उठे हर्षानंद एवं विषाद को अभिव्यक्त न करता हो। इसीलिए हर कहीं छिपे हुए भाव की अभिव्यक्ति और प्रभावहीन हो रहे मनुष
धरती पर ऐसा कोई प्राणी नहीं है जो अपने अंतस् से उठे हर्षानंद एवं विषाद को अभिव्यक्त न करता हो। इसीलिए हर कहीं छिपे हुए भाव की अभिव्यक्ति और प्रभावहीन हो रहे मनुष
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