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सुनो..मैं बहुत अकेला हूँ..जीने के लिए तुम्हारा दर्द चाहिए..तुम्हारे सारे आँसू सब तकलीफ़ें चाहिए..
एक रूखा सा 'हैलो' भी साँस चला देता था..माथे की सिकवन से दिल काम चला लेता था..
तुम मुझे ना देखो पर मुझे फिर तुम्हारी एक झलक चाहिए..तुम पलकें तो उठाओ,डूबने के लिए दो नहर चाहिए..
अब मिटना चाहता हूँ,हर दर्द मिटाना चाहता हूँ..तुम झूठा ग़ुस्सा करो,मुस्कुराना चाहता हूँ..
तुम्हारी गालियों में फिर पैदल ही आना चाहत
एक रूखा सा 'हैलो' भी साँस चला देता था..माथे की सिकवन से दिल काम चला लेता था..
तुम मुझे ना देखो पर मुझे फिर तुम्हारी एक झलक चाहिए..तुम पलकें तो उठाओ,डूबने के लिए दो नहर चाहिए..
अब मिटना चाहता हूँ,हर दर्द मिटाना चाहता हूँ..तुम झूठा ग़ुस्सा करो,मुस्कुराना चाहता हूँ..
तुम्हारी गालियों में फिर पैदल ही आना चाहत
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