
Share0 Bookmarks 93 Reads2 Likes
हर पथ पर मुड़ा हूं...तुम्हारे लिए
हर दर पर झुका हूं...तुम्हारे लिए
लहर नदियां यूं ही चलती रही..
हवाएं भी रूख बदलती रही..
ना झुका कभी बवंडर के उफान से
ना रुका कभी उठते हुए तूफ़ान से
हर मुश्किलों से लड़ा हूं... तुम्हारे लिए
हर लहरों से टकराया हूं... तुम्हारे लिए
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments