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मय-कदे के साये में दिलजलों का ठौर ठिकाना रहता है,
ख़्वाबों की एक दुनियां है मेरी यहाँ रोज तेरा आना जाना रहता है।
कभी फ़ुर्सत मिले अपने चाहने वालों से बैठना पास मेरे,
तम्हें भी मालूम होगा क्यों शामों में गज़लों का बजना वजना रहता है।
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