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नदी,पर्वत,हवाएं और किनारे पास आते है,
तेरी यादों के मौसम ग़म भी साथ आते है।
कभी जो मुस्कराता हूँ कभी फिर उदास हो जाता हूं,
यह मौसम ना जाने क्यों बे-मौसम आते है।।
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नदी,पर्वत,हवाएं और किनारे पास आते है,
तेरी यादों के मौसम ग़म भी साथ आते है।
कभी जो मुस्कराता हूँ कभी फिर उदास हो जाता हूं,
यह मौसम ना जाने क्यों बे-मौसम आते है।।
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