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पतझड़ है मग़र एक रोज़ शज़र हरा होने वाला है,
अंधेरी रातों के सफ़र में चाँद नज़र आने वाला है।
यह जो तुम्हारे छत पर हुजूम उमड़ा है कह दो इनसे ज़रा खिसक ले,
एक अरसे बाद मेरा कबूतर जो छत पर उतरने वाला है।
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