गुलसितां's image
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गुल-ऐ-जार है गुलसितां,फ़ूलों में नई ताज़गी है,

खुशबू-ऐ-महक से जुदा है क़िरदार खोई कहीं सादगी है।



जाओ अभी खुशियों के मौसम है तुम्हारे,

मिज़ाज-ऐ-शख़्त का होना भी लाज़मी है।।


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