
Share0 Bookmarks 7 Reads0 Likes
गुल-ऐ-जार है गुलसितां,फ़ूलों में नई ताज़गी है,
खुशबू-ऐ-महक से जुदा है क़िरदार खोई कहीं सादगी है।
जाओ अभी खुशियों के मौसम है तुम्हारे,
मिज़ाज-ऐ-शख़्त का होना भी लाज़मी है।।
No posts
No posts
No posts
No posts
गुल-ऐ-जार है गुलसितां,फ़ूलों में नई ताज़गी है,
खुशबू-ऐ-महक से जुदा है क़िरदार खोई कहीं सादगी है।
जाओ अभी खुशियों के मौसम है तुम्हारे,
मिज़ाज-ऐ-शख़्त का होना भी लाज़मी है।।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments