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मेरे घर,मेरी दुनिया की एक ज़ुबाँ है
ज़रूरतों में कोई नहीं बस एक माँ है
पिता की ढाढस, मेरे मन की आसमाँ है
जब कोई न हो , हर पल साथ मेरी माँ है
अपने घर की समूचे तलाशी लूँगा एकदिन
मुस्कान लेकर छिपाए ग़म कहाँ मेरी माँ है
मुद्दतों बाद मयस्सर होगी नींद मुझे 'कृष्णा'
सालों बाद सिर सहलाते सामने मेरी माँ है।
-कृष्णा
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