रातभर's image
Share0 Bookmarks 26 Reads0 Likes
एक के तुझको ख्वाबों में भी देखना न मयस्सर,
और फिर तू याद भी आता जाता रहा रातभर,

मुझको तिरे लफ्जों से रही थी मोहोब्बत,
और फिर में तिरे पन्ने जलाता रहा रातभर,

तिरे हाथों से पड़ी जो मिरे बदन पर सिलवटें,
खंरोचता भी रहा, मिटाता भी रहा रात भर,

तू बैठा करता था जहां मिरे साथ इस बिस्तर पर,
वहीं बैठ इतराता , मुस्कुराता रहा रातभर,

-Kaiz

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts