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कागज पर उतार सकूं,
इतना छोटा नहीं मेरा प्यार..
कहां से लाऊं वो शब्द,
जो बयां कर सके मेरा इज़हार...
जब भी कुछ अल्फाजों को साथ लाता हूं,
इनमें कुछ न कुछ खामियां ही पाता हूं...
कैसे कहूं तुमको की क्या हो तुम,
तुमसे ही मैं हूं,मुझमें समाई हो तुम...
इतना छोटा नहीं मेरा प्यार..
कहां से लाऊं वो शब्द,
जो बयां कर सके मेरा इज़हार...
जब भी कुछ अल्फाजों को साथ लाता हूं,
इनमें कुछ न कुछ खामियां ही पाता हूं...
कैसे कहूं तुमको की क्या हो तुम,
तुमसे ही मैं हूं,मुझमें समाई हो तुम...
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