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आज एक कदम बढ़ाया है अपने सपनों की ओर
डर है थोड़ा की रास्तों में ना जाने आयेंगे कितने मोड़
इतनी आसानी से तो नही मिल जाती मंजिल हर किसी को
गिरना , चढ़ना , संभलना मुझे भी है
बस कस के रखनी हैं अपने हिम्मत की डोर
आज एक कदम बढ़ाया हैं अपने सपनों की ओर
डर है थोड़ा की रास्तों में ना जाने आयेंगे कितने मोड़
इतनी आसानी से तो नही मिल जाती मंजिल हर किसी को
गिरना , चढ़ना , संभलना मुझे भी है
बस कस के रखनी हैं अपने हिम्मत की डोर
आज एक कदम बढ़ाया हैं अपने सपनों की ओर
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