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ओढ़े है कई चेहरे आज भी नकाब
करके गुनाह घूम रहे बेबाक
किस की आंखों में हैं कौन से राज
किसे पता कौन बदल जाए आज
छल कपट कहां दिखती है चेहरों से
दुनिया तो आज भी भरी बेहरों से
सच मांगे सबूत झूठ करे सच का ढिंढोरा
कौन जाने किसके पीछे की कहानी
जिसने जो देखा वही बटोरा
करके गुनाह घूम रहे बेबाक
किस की आंखों में हैं कौन से राज
किसे पता कौन बदल जाए आज
छल कपट कहां दिखती है चेहरों से
दुनिया तो आज भी भरी बेहरों से
सच मांगे सबूत झूठ करे सच का ढिंढोरा
कौन जाने किसके पीछे की कहानी
जिसने जो देखा वही बटोरा
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