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एक दिन हिम्मत जुटा कर दोस्ती का पैग़ाम भेज ही दिया हमने
उन्होंने भी हमें निराश नहीं किया और दोस्ती का हाथ थाम लिया
फिर पहली पहली दफ़ा बात शुरू हुई हम दोनों के दरमियाँ
थोड़ी थोड़ी हिचकिचाहट सी थी हम दोनों के सवाल जवाबों में
फिर धीरे धीरे हम
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