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देखो न हाल देश का क्या यार हो गया
हर शख़्स यहाँ आज तो बीमार हो गया।
कोई यहाँ हिन्दू तो मुसलमान है कोई
ढूँढो कहीं क्या है यहाँ इन्सान भी कोई?
भाषाएँ हैं कई मगर वो बात नहीं है
इक-दूजे को हम पढ़ सकें हालात नहीं है
जात-पात करके ख़ुद को बाँट रहे हैं
अपनी जड़ों से ख़ुद को ही हम छाँट रहे हैं
सुर एकता का जो था तार-तार हो गया
कोई यहाँ यू पी कोई बिहार हो गया।
देखो ना हाल देश का क्या यार हो गया
हर शख़्स यहाँ आज तो बीमार हो गया।
-ज्योति सत्यम्
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