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मेरे शब्दों का अर्थ बन जाना,
वो ख्याल जो लब तक आया ही नहीं
बैठ कर कहीं, रुक जाए अब पल यहीं
कितनी दूर जाना है पता ही नहीं
पर तुम दो कदम बढ़ाओ तो सही
क्या लाए थे क्या ले जाना है
कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें
दुआ करते हैं सर झुका के
कुछ बातें मन की करते चले,
कुछ भी न कह कर सब कहते गए।
Pragati Juneja
वो ख्याल जो लब तक आया ही नहीं
बैठ कर कहीं, रुक जाए अब पल यहीं
कितनी दूर जाना है पता ही नहीं
पर तुम दो कदम बढ़ाओ तो सही
क्या लाए थे क्या ले जाना है
कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें
दुआ करते हैं सर झुका के
कुछ बातें मन की करते चले,
कुछ भी न कह कर सब कहते गए।
Pragati Juneja
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