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के बड़े टूटे हैं बिखरे हैं यूं सवरने से पहले,
कई तूफान गुज़रे हैं साहिल पे पहुंचने से पहले,
यूं हीं नहीं आज हर हालात पे मुस्कुरा लेते हैं,
कई अश्क छुपाए हैं यूं हसने से पहले!
मुसाफिर
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