
Share0 Bookmarks 173 Reads0 Likes
नारी है एक रूप है अनेक
देखना चाहे उसे उतना देख
किसी के लिए है वो प्रेमिका
तो किसी के लिए माँ होती है
तू कुलदेवी कुल की रक्षक कुल की गौरव है
निरादर इसका इस धरती पर रौरव है
कहीं पर बन गई यह काली
तो कही पर बनी यह दुर्गा
No posts
No posts
No posts
Comments