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थकता नही वह आकर रोज
लाता वह नई उम्मीद रोज
सिखाता हमें कुछ नया रोज
देता वह हमें हिम्मत रोज ।
सिखाता हमें वह निरंतर चलना
करम करतें हुए पथ पर बढ़ना
आता रोज कुछ सीखो मुझसे
कहता हूँ रोज बार -बार तुझसे ।
हारना मत हिम्मत मेरी तरह
बदलना मत गिरगिट की तरह
वक्त बदलने पर बदलता नही
आसानी से मैं पिघलता नही ।
आता हूँ तुझे सिखाने रोज
भाग जाता जानें तू कहाँ रोज
जाग और बढ़ा कदम अपने
चल अब पूरे होंगे तेरे सपने ।।
© जीतेन्द्र मीना ' गुरदह '
करौली ( राजस्थान )
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