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अब तक
प्रेम के बारे में झूट
ही बोला गया ,
की प्रेम
वासना है
शरीरों का मिलना है
प्रेम मजबूरी है
हुआ तो
अनुभव किया
प्रेम तो
लगाव है
प्रेम तो
निर्म
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